भारत की रचना - 13

  • 735
  • 195

भारत की रचना / धारावाहिकतेरहवां भाग उसे देखकर तो रचना के तो तन-बदन में एक सिहरन-सी उठकर रह गई. परन्तु रॉबर्ट भारत को निर्भीक अपने सामने खड़ा देखकर, जैसे खीझकर उससे बोला,'आपकी तारीफ़?''भारत !.''भारत. . .? यानी अभिनेता मनोजकुमार?' रॉबर्ट ने व्यंग से पूछा.'जी नहीं. साहित्य कुमार 'भारत' हूँ मैं. धानपुरा का धान और चावल बेचनेवाला भारत.''हमारे बीच में यूँ कूदने की मूर्खता?''मेरी नहीं, तुम्हारी है.'भारत ने उत्तर दिया तो रॉबर्ट और भी अधिक झुंझला गया. वह तैश में आकर बोला,'तुम्हारा कहने का मतलब?''यही कि, जब रचना को तुम्हारा यहाँ आना पसंद नहीं है, तो फिर मत आया करो. वैसे भी