इस गहरी और भावनात्मक स्थिति मे किसी ने रेग्रेशन थेरेपी की सलाह दी (जो मनोवैज्ञानिक हैप्नोटिज़म् करके करते हैं) वो तो बाद में सोच लूंगा पर स्वप्नों का भंडार था जो मुझे सोने नहीं दे रहा था अतृप्त इच्छाओं का क्या करूँ यह सवाल एक भूत बन के खड़ा था...रात का समय था और मैं अपने कमरे में अकेला बैठा था। चारों ओर सन्नाटा था, लेकिन मेरे मन में एक तूफान चल रहा था। मेरी अतृप्त इच्छाएँ, जो कभी पूरी नहीं हो पाईं, एक भूत की तरह मेरे सामने खड़ी थीं। वे मुझे लगातार परेशान कर रही थीं, जैसे कि वे