81 अक्ल कभी कभी वक्त को भी पंछी की तरह पर लग जाते हैं। ऐसे देखते देखते ही पाँच साल और गुज़र गए। रिमझिम बकील बन गयी उसने नन्हें की मदद से अपनी माँ के केस को दोबारा खोला। निहाल ने वो एफआईआर ढूंढ निकाली, जो उसकी माँ सुजाता के मौत के दौरान लिखी गई थीं। नीमवती उसके नाना नानी और ज़हरीली जड़ी बूटियाँ बेचने वाले वैद ने उसकी माँ को इंसाफ दिलवाने में मुख्य भूमिका निभाई। सुजाता की सास को पाँच साल, ससुर को दस साल और देवर को चौदह साल की सजा सुनाई गई। एक बेटी ने