जंगल - भाग 12

                               ( 12)                        --------------------------                    थमी सी रात, जागते लोग, चलती ट्रेने, बसे, कारे.... पता नहीं दुनिया कब सोती है। कब शहर सोता है, पूछता हुँ कभी आपने आप से, ज़िन्दगी के मापदंड बस यही पैसा कमाना, और पार्टियों मे उडाना ही होता है। सोने की टेबलट खानी जरुरी हो गया है। इसके बिना नींद नहीं, खाब कया आये पता ही नहीं।या छोटा सा पेग.... चुस्की से