रमेश एक छोटे से गांव में रहने वाला युवक था। उसका बचपन कठिनाइयों में बीता था। मां का साया सिर से बचपन में ही उठ गया था, और पिता काम के सिलसिले में अक्सर बाहर रहते थे। उनके इस व्यस्त जीवन के कारण रमेश की देखभाल करने वाला कोई नहीं था। गांव के अन्य बच्चे अपने परिवार के साथ खुश रहते, पर रमेश हमेशा एक अजीब-सी खालीपन से घिरा रहता था। जब रमेश बड़ा हुआ तो उसने शिक्षा के लिए शहर का रुख किया, लेकिन वहां की भीड़भाड़ और तेज़ रफ्तार जिंदगी में रमेश को कभी किसी का साथ न