मुझे ले चलो - शहर से गाँव की ओर

एक गाँव में १२ वी कक्षा के सरकारी स्कूल में एक बहुत ही कर्मठ ईमानदार प्रधानाचार्य  अपने परिवार के साथ रहते थे,जिनके एक बेटा और एक बेटी थी जो बहुत ही होशियार थे.समय बीतता रहा,बिटिया का चुनाव सिविल सर्विस में हो गया और बेटे की भी नौकरी एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में कंप्यूटर अभियंता की लग गई.प्रधानाचार्य ने अपनी बेटी की शादी बड़े ही धूम धाम से की,बेटा भी नौकरी के लिए शहर चला गया,अब गाँव में सिर्फ़ प्रधानाचार्य व उनकी पत्नी रह गये.प्रधानाचार्य जी की ज़िद थी कि मैं दामाद व बहु गाँव से ही लूँगा और उन्होंने ऐसा ही