जंगल - भाग 4

  • 294
  • 105

जिंदगी एक तरफा नहीं दो तरफा और  कभी ब्रेक डाउन तो कभी अप लग जाता है। जो सोचते है कभी  होता नहीं। कयो नहीं होता?पांच सौ करोड़ , बेटा जॉन के आगे कुछ भी नहीं थे। शायद पता नहीं राहुल सोचता कया कर जाता मै।अचानक ये कया, माधुरी। भागी हुई आयी। जॉन उसकी बाहो मे वो बे होश हालत मे उसे सहलाती और चूमे जा रही थी। कुछ भी उसे जैसे पता नहीं था। कौन देख रहा है कौन नहीं। राहुल बिलख पड़ा। जॉन ने छोटे कोमल हाथो को चुम रही थी।"कया हुआ मेरे बेटे को...."एकसार रोरही थी।"नजर लग गयी।"माँ