पुणे की सड़कों पर रात की ठंडी हवा चल रही थी। चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ था। उस सन्नाटे को तोड़ती हुई एक काली एसयूवी सड़कों पर तेज़ रफ्तार से दौड़ रही थी। गाड़ी के अंदर अंश दीक्षित बैठा था – पुणे का कुख्यात माफिया जिसके नाम से लोग खौफ खाते थे। उसके साथ उसका सबसे भरोसेमंद आदमी, कबीर, गाड़ी चला रहा था और उसके बगल में आदित्य बैठा था।"भाई, आज का काम तो बेहतरीन हुआ," आदित्य ने मुस्कुराते हुए कहा।अंश ने एक हल्की मुस्कान के साथ उसकी ओर देखा और धीरे से कहा, "ये शहर अब हमारे हाथों में