दिए की रात

भगवान राम जब अयोध्या लौटे थे तब से उनके आने की खुशी मे लोगों ने दिवाली का त्योहार मनाना शुरू किया, कई युग बीत गए, सालों से लोग दिवाली पर पटाखे फोड़ते आए हैं, लेकिन आज अर्वाचीन युग मे दिवाली की व्याख्या ही बदल दी गई है | सबसे पहली बात तो ये कि भगवान श्री राम के समय मे सभी प्रकार के, सभी सम्प्रदाय और सभी जातियों के लोगों का सन्मान होता था, एक दूसरे को धक्का मारकर गिराने की साजिश लोग नहीं करते थे और तो और दूसरे संप्रदाय के लोगों को अपनी ताकत दिखाने का ढोंग भी