गजेंद्र सिंह गायत्री जी के पिता दिलराज सिंह को अपनी बातों में फंसा कर उनका पूरा कारोबार अपने नाम करवा चुका था। अब उसकी नजर हवेली पर थी और उसने हवेली को अपने नाम करवाने के लिए भी कोर्ट में कैसे डाला था। कहानी वहां अवनी बलराज सोलंकी के केबिन की तरफ जा रही थी जो उसे होटल महफिल इन के मालिक का बेटा था।पूरा कमरा गुलाबो की खुशबू से महक रहा था और जगह पर नाचे गुलाब के फूलों के गुलदस्ते उसे और भी महका रहे थे। यह सब कुछ देखकर अवनी अपनी जगह पर ही जम गई। उसका