कृष्ण-अर्जुन संवाद

हमारा दृष्टिकोणअर्जुन था बैठा शीश झुका कर,गाण्डीव को फेंक इस कुरुक्षेत्र में ।नहीं लड़ना था उसको अपने,सगे संबंधियों के विरोध में ।कृष्ण ने तब आकर के तुमको, गीता का था ज्ञान दिया ।कौन हो तुम और कौन हूं मैं, इस बात का था भान दिया । कृष्ण दृष्टिकोणउठो पार्थ अब आंखें खोलो, चारों तरफ इस रण को देखो ।चाहो तो तुम हट जाओ पीछे, किंतु पहले मुझसे मिल लो । अर्जुन ने अपनी नम आंखें खोली और मस्तक उठा कर हैरानी के साथ कृष्ण को देखने लगे । वहीं कृष्ण ने आगे कहा,देख पार्थ मैं माधव तेरा,मित्र भी मैं और शत्रु तेरा ।मुझ में ही हो