हल्दी आखत के गीत -राजेश शर्मा

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हल्दी आखत के गीत गाते चलो                        रामगोपाल भावुक   महाकवि भवभूति की कर्मस्थली ग्वालियर के चर्चित साहित्यकारों के साथ गाइड के रूप में मुझे जाने का अवसर मिला। जिसमें राजेश शर्मा जी  भी साथ थे। उनके गीतों को अनेक वार कवि सम्मेलनों में सुनने का अवसर मिला था। लौटते समय वे मुझे अपना गीत संग्रह हल्दी आखत के गीत देकर गये हैं। उस दिन से जब मन करता है उन्हें गाकर आनन्द लेता रहता हूँ।  देश को स्वतंत्र हुए लम्वा समय व्यतीत हो गया लेकिन आज भी हम तमाम बादों के बाद भी अखिरी इंसान तक नहीं पहुँच