पुंछ पुराण पे चर्चा

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( यह वैचारिक लेख है,किसी भी तरह इसे राजनीति से लिंक न किया जाए,कोई resemblence लगे तो वो इत्तेफाक ही हो सकता है,मैं ज़िम्मेदार नही उसका)   ( राजनीति क्या हैं,इस विषय पर काफी विद्वान  चर्चा करते रहते हैं,यह एक नया आयाम है....)पूँछ सभी की होती है ( किसी किसी इंसान को छोड़ कर )पर बेचारा कुत्ते इसके लिए बदनाम हैं,आईये देखते हैं क्यों?    कुत्ते खुश हो तो पूँछ हिलाते है ,क्या करें,बोल तो नही सकते न? अब पूँछ टेडी है तो क्या करे?टेडी ही तो हिलेगी न,आप उसमे पेंडुलम जैसा कुछ मत ढूँढियेया कोई और शोध मत कीजिये। कुत्तों