शाम का समय, सिद्धांत का घर, काव्या ने एक नजर उस ओर डाली जिधर सिद्धांत गया था और फिर कहा, " वो हमेशा अपने होठों पर मुस्कान रखता है, हर बात को मजाक में ले लेता है और सोचता है कि उसके अंदर जो भी तूफान चल रहा है उसके बारे में किसी को पता नहीं चलेगा लेकिन हम तो सब जानते हैं न ! " मिसेज माथुर ने नासमझी से कहा, " तुम कहना क्या चाहती हो ? " काव्या ने कहा, " कहीं अपनी तकलीफ भूलने के चक्कर में वो अंदर ही अंदर घुटता न रह जाए