उजाले की ओर –संस्मरण

  • 810
  • 255

================== स्नेहिल नमस्कार मित्रों हम सबको अपने जीवन में इतना जूझना पड़ता है कि एक समय ऐसा आता है कि हम थकने लगते हैं | कई बार यह बात भी मन में आती रहती है कि आखिर हमें इस दुनिया में आने की भला जरूरत ही क्या और क्यों थी ? ऐसा तो हमने इस दुनिया में आकर कर क्या लिया ? हम जानते कहाँ हैं कि हम क्यों आए हैं लेकिन इतना तो समझ सकते हैं कि हमें बनाने में प्रकृति का कितना बड़ा योगदान है | हमें कितनी संवेदनाओं से भरपूर बनाकर इस धरती पर भेज गया है