काश........ लेकिन कितने???.... 1

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शर्त बस सी थी कि दोनों जब कुछ बन जाएंगे तभी घरवालों से शादी की बात की जाएगी। उन दिनों यूनिवर्सिटी के लड़के लडकियां भी बहुत निसंकोच होकर एक दूसरे से नहीं मिल पाते थे। कम से कम अपने बारे में तो ऐसा कह ही सकता हूं मैं। मेरी मित्र मंडली के लड़के भी साथ की लड़कियों से बात करने में घबराते थे।यूनिवर्सिटी में जब भी खाली समय मिलता हम एक जगह इकठ्ठा होते या कभी कभी क्लासेज ख़त्म हो जाने के बाद भी। कुछ कविताएं पढ़ी जातीं, कुछ कहानियां गढ़ी जातीं। कुछ गीत, कुछ गजलें, सभी कुछ समय के