यूँ तो कई मसले निज़ी किस्म के होते हैं पर कई बार वो बा- वजह या बेवजह बा - मतलब या शायद बे-मतलब की बातों में फंसकर बस उलझ कर रह जाते हैं। दरअसल हम ख़ुशी से ज्यादा किसी और चीज को तवज्जो देने लगे हैं आजकल या फ़िर शायद हम पुराने को बस किसी तरह तोड़ने की जद्दोजहद में हैं या शायद कुछ है जो हम या तो समझ नहीं पा रहे हैं या शायद समझना ही नहीं चाहते हैं । कभी "कास्ट" तो कभी "रिलीजन" और गर इत्तेफाक से इन सबसे बच गए तो "मध्यम वर्गीय मूल्य_"