खामोशी का रहस्य - 3

छुट्टी वाले दिन दीपेन देर से उठता औऱ सारे काम धीरे धीरे से पूरे करता।छुट्टी वाले दिन वह घर से कम ही निकलता था।बहुत जरूरी होता तभी।लेकि न आज आया था।माया को आने में पूरा एक घण्टा बाकी था।वह प्लेटफार्म पर घूमने लगा।कम ही लोग थे एक कोने में एक लड़का लडक़ी खड़े बहुत धीरे धीरे बाते कर रहे थे।वह स्टाल पर जा पहुंचा।"एक चाय देनाऔऱ वह खड़ा होकर चाय पीने लगा।लोकल ट्रेनों का आना जाना जारी था।और जैसे तैसे 12 बजे।12 बजते ही वह गेट पर जाकर खड़ा हो गया।और कुछ देर बाद माया आयी थी।उसे देखकर बोली,"तुम कब