में और मेरे अहसास - 112

ख्वाइशों का समंदर बहुत दूर तक फेला हुआ हैं l एक आरज़ू ने ज़मीं से लेकर अर्श को छुआ हैं ll   एक हुस्न है जिसने सबकुछ आज लुटा हुआ है l देख जज़्बातों का जहाज बीच समंदर में डुबा हैं ll   चहरे पर ज़ख्म दिखते नहीं है वर्ना रो देते आप l कसम से मुकम्मल मोहब्बत के नाम पर लुटा हैं ll   नांव किनारों पर ही खिसका करती है सभल जा l जिस नाविक पर भरोसा था वो यक़ीन टुटा हैं ll   जिंदगी का मुक़द्दर सफ़र दर सफ़र करती रहती l किस तरह कहे कैसे कहा