लावारिस....!! (एक प्रेम कहानी) - 2

शंकर : " दिव्या ये तुम्हारा कहना है लेकिन मेरा प्यार इतना मतलबी नहीं के तुमसे इस प्यार के बदले तुम्हारे अरमान ख्वाहिशें सब छीन लूं। बस कुछ वक्त मेरा इंतजार करना होगा और वैसे भी तुम्हारे लिए तुम्हारे परिवार ने भी बहत सपने देखे होंगे तुम्हारे पति और भविष्य को लेके । वो सब मैं तुम्हे मेरे आज के इन हालातो में नहीं दे सकता लेकिन कुछ वक्त बाद मैं इतना काबिल तो बन ही जाऊंगा की तुम्हारे अरमानों को पूरा कर सकू तुम्हारे मां बाप की नजरो में एक कमियाब इंसान के रूप में जाऊ, कोई बाप ये नहीं