सक्स

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एक छोटीसी कहानि है जो हमने कविता मे पिरोई है,कहानी उनपे है जो अपनों के लिए अपने घर से दूर रहते है। और अपनों और ज़िम्मेदारी के बिच जुजते रहते है।पप्पा पकडे रखना सायकल, छोड़ ना मत वर्ना मे गीर जाऊंगा..पप्पा देखो मे सिख गया…. पप्पा आप पीछे ही होना?..पप्पा…पप्पा…एक सक्स था, जो ज़िल के किनारे बैठा था,कपडे फॉर्मल, और जूतों पे मिट्टी, मानों अभी ऑफिस से आके रुका था,चहरे का रंग उड़ा हुआ,क्या पता कौनसी बेचैनीमे जुज रहा,सिर पर हाथ रखा हुआ, पैर फेल के बैठा था,ना जाने कौनसी मज़बूरी, की यहाँ आके ठहरा था,एक सक्स था, जो ज़िल