अध्याय 1: पहला मिलन सर्दियों की एक ठंडी सुबह थी। दिल्ली की गलियाँ कोहरे की चादर में लिपटी हुई थीं। रिया हमेशा की तरह अपने ऑफिस जाने की तैयारी में लगी थी। उसकी ज़िन्दगी में हर चीज़ पहले से तयशुदा थी—वक्त पर उठना, ऑफिस जाना, काम करना और फिर घर लौट आना। एक साधारण-सी, शांत ज़िन्दगी। लेकिन आज की सुबह कुछ अलग थी, कुछ नया। ऑफिस जाते वक्त मेट्रो में भीड़ हमेशा की तरह थी। रिया अपनी बुक पढ़ने में मशगूल थी, जब अचानक उसकी नज़र एक अजनबी पर पड़ी। वह आदमी उसके सामने खड़ा था, एक शांत और संजीदा