एक ज़ाहिदा, एक फ़ाहिशा

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"एक ज़ाहिदा, एक फ़ाहिशा"   अध्याय 1: मुलाक़ात जो तक़दीर से थी   ज़िन्दगी कभी-कभी हमारे लिए ऐसी राहें चुन लेती है, जिनके बारे में हमने कभी सोचा भी नहीं होता। कुछ मुलाकातें अनायास होती हैं, लेकिन वो हमारे दिलों और ज़िन्दगी पर गहरे निशान छोड़ जाती हैं। कुछ ऐसा ही हुआ था ज़ाहिदा और फ़ाहिशा के साथ, जब उनकी पहली मुलाकात हुई—एक मुलाकात जो सिर्फ इत्तेफाक नहीं, बल्कि तक़दीर की एक नायाब चाल थी। ज़ाहिदा: ज़ाहिदा एक सीधी-सादी, धार्मिक लड़की थी, जिसकी ज़िन्दगी का हर पहलू उसके परिवार और उसकी आस्थाओं के इर्द-गिर्द घूमता था। उसकी आँखों में हमेशा