64 प्रातः काल का समय।द्वारिकाधीश के मंदिर में उपस्थित अभूतपूर्व जनसागर। प्रभु की प्रतिमा के सम्मुख खड़े दो विद्वान- आचार्य जगन्नाथ एवं गुरुकुल के प्राचार्य। स्पर्धा की प्रतीक्षा में द्वारका नगरवासी कुछ नूतन देखने की उत्कंठा में, उत्सुकता में, चिंता में अधीर हो रहे थे। सबसे अधिक चिंता से ग्रस्त तो पंडित जगन्नाथ थे।रात्रि भर की अनिद्रा का प्रभाव उनकी आँखों में तथा मुख पर अनायास प्रकट हो रहे थे जिन्हें छिपाने का वह अपने कृत्रिम स्मित से प्रयास कर रहे थे। मन ही मन भगवान