63द्वारका में काशी से पंडित जगन्नाथ पधारे थे। भगवान द्वारिकाधीश के दर्शन के उपरांत वह मंदिर में विहार करते करते ब्राह्मणों का निरीक्षण कर रहे थे। कुछ यजमानों के संकल्प अनुसार पूजा अर्चना करवा रहे थे। पंडितजी उनका अवलोकन करने लगे। ब्राह्मणों द्वारा उच्चारित मंत्रों तथा श्लोकों को ध्यान से सुनने लगे। उन उच्चारण में उसने कुछ त्रुटि पाई। कुछ समय वह उसे सुनते रहे। त्रुटियों पर ध्यान देते रहे। उसने मन में निश्चय कर लिया। पूजा सम्पन्न होने तक प्रतीक्षा करते रहे। पूजा सम्पन्न हो गई। यजमान चले गए। ब्राह्मण पूजा स्थल को साफ़ कर रहे थे तभी पंडितजी उनके