62चार वर्ष का समय व्यतीत हो गया। प्रत्येक दिवस गुल ने इन चार वर्षों की अवधि की समाप्ति की प्रतीक्षा में व्यतीत किए थे। इन चार वर्षों में द्वारका ने अनेक परिवर्तनों को देखा। गुरुकुल में भी परिवर्तन हो रहा था। गुल को गुरुकुल में एक कक्ष में निवास की सुविधा दी गई थी। गुरुकुल के पुस्तकालय के सभी पुस्तकों के अध्ययन की, आचार्यों से प्रश्न करने की तथा गुरुकुल परम्परा से ज्ञान प्राप्ति की उसे अनुमति दी गई थी। गुरुकुल के रसोईघर एवं वृक्षों के जतन में भी वह सहायता करती थी। इस अवधि में गुल ने अनेक शास्त्रों का