61केशव के जाने की सज्जता में पूरा दिन व्यतीत हो गया। गुल इस प्रत्येक सज्जता में केशव के साथ रही। प्रत्येक क्षण उसने केशव के साथ जिए। उन क्षणों में उसे किसी चिंता का अनुभव नहीं हुआ। पूरे उत्साह से वह सज्जता करती रही। रात्रि को सज्जता पूर्ण होने पर संतोष के साथ वह सो गई। केशव रात्रि भर गुल के समीप बैठा जागता रहा।ब्राह्म मुहूर्त में केशव कक्ष से बाहर आ गया, समुद्र में तारा स्नान किया और प्रातः कर्म से निवृत हो गया। गुल विलम्ब से जगी। तब तक गुरुकुल अपने नित्य कर्म से निवृत हो चुका था।