द्वारावती - 60

60गुल ने जब आँखें खोली तब वह गुरुकुल के किसी कक्ष की शैया पर थी। कुछ कुमार उसकी सेवा में वहीं थे। उसने उनमें किसी को खोजने का प्रयास किया किंतु वह वहाँ नहीं था। गुल के आँख खोलते ही एक कुमार प्राचार्य को इसकी सूचना दे आया। वह कक्ष में आए। गुल के माथे पर हाथ रखते हुए बोले, “हरे कृष्ण।” कृष्ण का नाम सुनते ही गुल में किसी चेतना का संचार होने लगा। वह बोली, “हरे कृष्ण।” सभी के मुख पर हर्ष छा गया, गुल के मुख पर सौम्य हसित। “केशव कहाँ है?”“उसे सूचित कर दिया है, शीघ्र ही वह आ