59“मेरे पिताजी कहाँ है?” गुल के इस प्रश्न का उत्तर गुरुकुल में किसी ने नहीं दिया।“मेरा घर? मेरी माँ?” इसका उत्तर भी किसी ने नहीं दिया। सभी ने मौन धारण कर लिया। “मुझे मेरे घर ले चलो।” उत्तर में एक युवक शीतल जल ले आया।गुल ने थोड़ा पिया। दूसरा युवक फल ले आया। गुल ने उसे ग्रहण नहीं किया। प्राचार्य ने गुल के मस्तक पर हाथ रख दिया। गुल का उद्विग्न मन शांत होने लग, कुछ क्षणों में शांत हो गया। उसने फल खाया। “गुल, तुम अभी इस कक्ष में विश्राम करो।” प्राचार्य के साथ सभी ने कक्ष रिक्त कर दिया। गुल विवश