कि तभी विधि ,,,,,अपनी पूरी जान लगा,,,,खुद को अनिरुद्ध से बचाने की कोशिश करने लगी थी,,,,,लेकिन वह छोटी सी नन्ही सी जान ,,,,,खुद को कैसे बचा सकती थी,,,,,,,जिससे उसने बगैर कुछ सोचे समझे,,,,,,अपने चेहरे को घुमा,,,,,,,,अनिरुद्ध जो अब भी ,,,,,थोड़ा झुक ,,,,,,अपने होंठ विधि के कंधे पर रखा था ,,,,,,उसे गरदन पर एक तेज दर्द का एहसास होता है ,,,,,,क्योंकि विधि ने बगैर कोई मौका दिए ,,,,,,अपने तीखी नुकिली दांत,,,,,अनुरोध के गले में गड़ा दिया था ,,,,,,जिस दर्द से अनुरोध दो कदम पीछे हट गया था की तभी उसे विधि की चिखने की आवाज आती है,,,,, दूर दूर रहो मुझसे,,,,,,मैं कोई