मोहब्बत की जीत

गर्मियों की एक शाम थी। सूरज ढल रहा था और पूरे गांव में हल्की-सी ठंडक का एहसास हो रहा था। इसी गांव की एक सशक्त और आत्मनिर्भर लड़की थी, बल्लू। वह हमेशा से ही अपनी शर्तों पर जिंदगी जीने वाली थी, निडर और बेबाक। आज वो गांव के बाजार में कुछ सामान खरीदने आई थी। उसकी नजरों में आत्मविश्वास और दिल में अपने सपनों की चमक थी।तभी उसकी मुलाकात होती है दीपक से। दीपक, एक साधारण पर समझदार इंसान, जो अपने छोटे से काम में खुश था और हर किसी की मदद के लिए तैयार रहता था। पहली बार दोनों