जीवन सरिता नोंन - १

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खण्ड काब्य-जीवन सरिता नौंन          (लवणा सरिता) ‘परोपकाराय बहन्ति नद्याः’ अर्पण – परम पूज्‍या – लवणसरिता – (नौंन नदी) लवणाकूलों कल्‍लोलित मन-ज्यों द्रुमोंमृदुपात, झूमते झुक झूलते, जल, वात से बतियात। जल पिऐं पशु, विहग, मानव- शान्‍त,पाते शान्ति, बुद्धि बल मनमस्‍त पाते, मिटे मन की भ्रान्ति।।1।। परम पावन, पतित पावन, ब्रम्‍ह का अवतंश, जान्‍हवी- सी जानकर, पूजन करूं तेरा। जीव का जीवन, स्‍वजन उद्धार कारक, लवणा सरिता को, सतत वंदन है मेरा।।2।।   समर्पण – परम पूज्‍यनीय मातु, जन्‍म तब गोदी पाया। जीवन दायकु द्रव्‍य, प्रेम-पय सुखद पिलाया। स्‍वच्‍छ बसन पहिनाय, शीत खुद ने अपनाया। मेरे सुख-दुख बीच आपका रूप समाया।