मन मे दबी हुयी बातें जो मैत्री को खुलकर जीने नही दे रही थीं आज आंसुओ के जरिये बाहर आने के बाद मैत्री को बहुत सुकून मिल रहा था... वो अपने आप में इतना हल्का महसूस कर रही थी कि बिस्तर पर लेटते ही उसे नींद आ गयी.... मैत्री को सुलाकर जतिन बाहर ड्राइंगरूम मे जाकर बैठ गया और सोचने लगा कि वो मैत्री जिसे वो इतना प्यार करता है, जो छोटी सी, प्यारी सी है.... जो हर काम इतने अच्छे तरीके से पूरी जिम्मेदारी के साथ करती है.... वो मैत्री जो सबका सम्मान करती है... उसे कितना कुछ सहना