नहीप्रदीप हड़बड़ा कर उठ बैठा"क्या हुआपति को बड़बड़ाता देखकर रमा की नींद खुल गयी थी।"कुछ नही"कुछ नही तो उठ क्यो गए।नींद में बड़बड़ा क्यो रहे थेप्रदीप चुप रहा।उसे बोलता न देखकर।रमा ने लाइट जला दी।कमरे में उजाला फेल गया।उसकी नजर पति पर गयी तो वह चोंक गयी।पति पूरी तरह पसीने में नहाया हुआ था।वह काफी डरा और सहमा हुआ भी नजर आ रहा था।"क्या बात है"कुछ नही"कुछ तो है तभी घबराये और डरे से लग रहे हो"पिताजीपति की बात सुनकर रमा बोलीकभी कभी ऐसा हो जाता है।तुंमने सपने में ई पिताजी को देखा और डर गए होंगे।डरो मत।सो जाओप्रदीप भी