नक़ल या अक्ल - 61

61 आशिक   करीब तीन-चार घण्टे के सफर के बाद, नन्हें और नंदन उस कमरे में पहुँचे, जहाँ उन्होंने कमरा किराए  पर लिया हुआ था, उनकी कोचिंग ग़ाज़ियाबाद के साहिबाबाद इलाक के पास थी, इसलिए उन्होंने वही रहना उचित समझा एक बड़े से कमरे में एक तरफ रसोई और बाथरूम बने हुए हैं। दोनों ने अपने कपडे और किताबें अपने सूटकेस से निकाली और उसे कमरे में लगी लकड़ीकी अलमारी में रखने लगें। दोनों ने अपने  घर पर फ़ोन करकर  बता दिया कि  वे लोग ठीक से पहुँच गए हैं। उनके माता पिता को भी यह सुनकर तस्सली हुई।