नक़ल या अक्ल - 58

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58 नई मंजिल   सुबह सात बजे की ट्रैन से गिरधर, गोपाल को लेकर कानपुर के लिए रवाना हो गएI गोपाल ने उन्हें समझाया भी कि ‘जब निर्मला दीदी वहाँ नहीं जाना चाहती तो फिर कानपुर  जाने का फायदा ही क्या हैI’  उन्होंने उसे झिड़कते हुए कहा, ‘कल को लोग  क्या कहेंगे!!! कि  अम्मा नहीं थी इसलिए बाप ने बच्चो का घर बसाने  की कोई कोशिश नहीं की I’  यह सुनने के बाद गोपाल से अब कुछ कहा नहीं गया I    दोपहर  बारह  बजे के बाद, जब निर्मला बिरजू के कैफ़े में कम्प्यूटर सीखने आई तो उसका मुँह लटका