कोमल की डायरी - 14 - पंछी और पिंजरा

तेरहपंछी और पिंजरा             ‌ ‌ ‌             शुक्रवार, दस फरवरी 2006 बहादुर आज आया था। 'मृतक संघ' के काम में लगा है। लोग जुड़ रहे हैं। उसमें भी उत्साह का संचार हुआ है। न्याय पाने के लिए कितना संघर्ष करना है? कुछ लोग उसे निरन्तर धमकाते हैं। वे किराए के लोग हैं। कुछ भी कर सकते हैं। इसका कोई निदान ढूँढ़ना होगा। कोई न्याय की गुहार भी न लगा सके ! सत्ताइस जनवरी को ही जेन और सुमित को दिल्ली लौट जाना पड़ा। कुछ ज़रूरी काम था उन्हें। जेन ने चिट्ठी भेजी