कोमल की डायरी - 13 - घोंघे को गुस्सा आता है

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बारहघोंघे को गुस्सा आता है                             शुक्रवार, सत्ताइस जनवरी 2006 आज ठंड थोड़ी कम है। हवा बहुत धीमी या कहिए नहीं चल रही है। पेड़ों की पत्तियाँ धीरे-धीरे हिलतीं। पाकड़ के पेड़ में पुराने पत्ते सूखने की तैयारी में हैं। आम में कहीं कहीं बौर दिखने लगे। गुलमोहर भी रंग बदल रहा है। अशोक, मौलिसिरी के पेड़ निश्चिन्त हैं। मैं गाँधी पार्क दस बजे पहुँच गया। धूप कुछ कुछ जवान होने का अभिनय कर रही है। जिनके पास जाड़े के वस्त्र नहीं हैं, उन्हें थोड़ी राहत मिली, चेहरे पर