कोमल की डायरी - 7 - फिर आऊँगा

सातफिर आऊँगा                          इतवार, बाईस जनवरी २००६ ठंड अभी कुछ कम नहीं हुई। सुबह अच्छी ठंड पड़ती। अनेक वृद्ध ठंडक में चल बसते हैं। आज आसमान बिलकुल साफ था। आज मैं पहले गाँधी पार्क पहुँच गया था। सुमित ने पहुँचते ही पूछ लिया, 'राजा देवी बख्श दांग में कब तक जीवित रहे?'मैंने दो पंक्तियां सुनाई-              रानी राजा सिषर पर लोग भोग असथान ।               तहं तन तजि कैलास गे, शिव के वचन प्रमान।       सुमित हंस पड़े। 'यह