इस भाग में जारी है.......जंगल का खेलतीनों दोस्तों ने महसूस किया कि वे एक अजीब और भयावह खेल में फंस चुके हैं। निधि के हाथ में चिपकी हुई गुड़िया ने अब उनकी परेशानी को और बढ़ा दिया था। जितना वे गुड़िया को छोड़ने की कोशिश करते, वह उतना ही निधि की उंगलियों से चिपकती जाती। अब वे समझ चुके थे कि इस जंगल में कुछ ऐसा है जो उनके साथ खेल रहा है, और यह खेल उनके जीवन से जुड़ा हुआ था।वे जंगल के भीतर और गहराई में जाने लगे, इस उम्मीद में कि शायद उन्हें कोई रास्ता मिल जाए।