उजाले की ओर –संस्मरण

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================= . नमस्कार स्नेही पाठक मित्रों आशा है सब स्वस्थ व प्रसन्न हैं | जीवन बड़ा अद्भुत् है | यहाँ पर भाँति-भाँति के लोग मिलते हैं | कोई बड़ा सरल होता है तो कोई ज़रूरत से अधिक चालाक ! कोई चुस्त होता है तो कोई बहुत अधिक चुस्त यानि ओवर-स्मार्ट होने का दिखावा करता है और कई बार अपनी ओवर-स्मार्टनैस में फँसकर अपना ही कबाड़ा कर बैठता है | अंजलि के पास सब कुछ था लेकिन वह अपने पास की चीज़ों से कभी संतुष्ट ही नहीं रहती थी | उसे हर चीज़ वह अच्छी लगती या उसका हर उस चीज़