भाग 1: प्रारंभ अमृतसर की संकरी गलियों में, जहां हवाओं में मसालों की खुशबू तैरती रहती थी और सड़कें जीवन से भरी रहती थीं, वहीं एक छोटी सी दुकान थी – हकीम नासिर अली की "दवा की दुकान"। नासिर एक जाना-माना हकीम था, जो जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक उपचारों से लोगों का इलाज करता था। उसकी दुकान पर हमेशा भीड़ रहती थी, और लोग उसके इलाज पर आंख बंद करके भरोसा करते थे।नासिर का एकमात्र बेटा, अयान, शहर के प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहा था। हालांकि, अयान ने आधुनिक चिकित्सा को अपनाया था, फिर भी उसके पिता