यह कहानी रवि और काशी की है, दो दिलों की दास्तान जो बरसों से अधूरी थी। रवि, 30 साल का एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर, बेंगलुरु में एक नामी MNC में काम करता है। वो अपने गांव एक महीने के लिए आया है, क्योंकि उसकी मां बीमार है। रवि के पिता तीन साल पहले एक लंबी बीमारी के चलते इस दुनिया से चले गए थे। गांव में रवि की मां अकेली रहती हैं, और उनके पास नौकर-चाकर भी हैं। रवि के पास 128 बीघे में फैला आंवले का बाग है, इसके अलावा आम और अमरूद के छोटे-बड़े बाग और कई बीघे की