अनामिका का साया

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अनामिका का सायारात्रि का समय था, आसमान में काले बादल छाए हुए थे, जैसे कि कोई भयानक तूफान आने वाला हो। हल्की बारिश की बूंदें अंधेरे में अनजाने भय की आहट बनकर जमीन पर गिर रही थीं। अविनाश, एक साधारण नौजवान, किसी अजनबी से अनजानी मुलाकात की उम्मीद में पुराने रेलवे स्टेशन पर खड़ा था। यह स्टेशन कई सालों से वीरान पड़ा था, और लोग यहां आना भी पसंद नहीं करते थे। फिर भी अविनाश को वहां कुछ खींच लाया था, मानो किसी अदृश्य ताकत ने उसे वहां बुलाया हो।अविनाश का मन भारी था, जैसे किसी बात का बोझ उसे