जिंदगी के पन्ने - 2

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रागिनी के जन्म से ही घर में खुशियों का माहौल था। उसकी हंसी, उसके नन्हे हाथ-पैरों की हलचल, और उसकी भोली-भाली आंखों ने पूरे परिवार को अपने में समेट लिया था। जैसे-जैसे दिन बीतते गए, वैसे-वैसे रागिनी बड़ी होने लगी। उसकी हर छोटी-बड़ी हरकत पूरे घर के लिए खास होती थी। उसका हंसना, रोना, और यहां तक कि उसकी नन्ही-नन्ही कोशिशें हर किसी के चेहरे पर मुस्कान ले आती थीं। रागिनी ने धीरे-धीरे घुटनों के बल चलना शुरू कर दिया था। उसकी छोटी-छोटी उंगलियां फर्श पर रेंगती हुई चलतीं, और वह अपनी खिलखिलाती हंसी से सबका दिल जीत लेती। जब