आंखों में आंसू लेकर अंकिता को याद करते करते राजीव की आंख कब लग गयी उसे पता ही नहीं चला...अगले दिन सुबह के करीब सात बज़े थे और अवध दरवाजे पर आये दूध वाले से दूध ले रहे थे कि तभी एक कार हॉर्न बजाते हुये उनके बिल्कुल पास आकर रुक गयी, अपने पास आकर खड़ी हुयी उस कार को देखकर अवध स्माइल करने लगे कि तभी चारू उस कार से उतरकर बाहर आ गयी और अवध को देखकर अपने दोनों हाथ जोड़ने के बाद सिर झुकाकर बोली- नमस्ते पापा जी.. गुड मॉर्निंग!!अवध ने भी चारू के सिर पर हाथ