अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 59

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जतिन के मैत्री को टटोलते हुये पूछने पर अपने आंसू पोंछते हुये रुंधे हुये गले से मैत्री ने कहा- इसके बाद हर काम मे टोका टाकी शुरू हो गयी उनकी... "ये काम ऐसे क्यो किया, इसे ऐसे करना चाहिये था.. इसे ऐसे ही रहने दो... जादा अपने हिसाब से काम करने की कोशिश मत करो, मुझसे पूछे बिना किसी काम मे हाथ मत लगाया करो" ये सारी चीजे रोज की बात हो गयीं... शादी के करीब पांच दिन बीत चुके थे पर रवि की मम्मी ने पगफेरो के लिये मुझे अपने मायके भेजने का जिक्र भी नही किया था.... मेरा