शाम की लालिमा छा गई थी। सूरज ढलते हुए बिलकुल अंडे की जर्दी जैसा लग रहा था। धूप की तपिश पूरी तरह से खत्म हो गई थी और अब मौसम में हल्की सी ठंडक महसूस होने लगी थी। इस शाम में कई बेचैनिया थी जो रोवन के मन को कुरेद कुरेद कर खोखला करने में लगीं थी। परिंदो के साथ साथ वो भी कार चलाते हुए जा रहा था। गंगा तट पर जाने वाला ये रास्ता हमेशा सुनसान ही रहता है। सड़क के दोनों तरफ घना जंगल है। यहां पर लोग ज़्यादा आते जाते नहीं क्यों के इस सड़क के