रात का समय, नेशनल हाईवे, सिद्धांत के हाथ में गन देख कर गन वाले आदमी ने हकलाते हुए कहा, " बच्चे ! ये खे, खेलने वाली चीज नहीं है । " सिद्धांत ने वो गन पीछे लेते हुए कहा, " ओ रियली ! फिर चलो खेलने वाला काम ही करते हैं । " उन आदमियों ने नासमझी से कहा, " क्या मतलब ? " सिद्धांत ने उस गन की सारी गोलियां निकाल कर फेंक दीं । फिर उसने वापस से वो गन घुमाते हुए उन दोनों की ओर देख कर कहा, " अब हो गई, ये खेलने वाली बंदूक