कहानी हमारी - 2

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हम चुपके से देख रहे थे गार्ड वहां से गया की नहीं.....वही दूसरी और गार्ड भी वहाँ देख रहा था यहाँ कोई है तो नहीं या वेहम है,उस वक्त वृष्टि मेरे इतने करीब थी उसकी सांसों की हलचल मुझे महसूस हो रही थी मैं मेरे मन में ये सोच रहा था, कि कुछ वक्त पहले जो चेहरा बिल्कुल अंजान था कैसे मेरे इतने करीब आ गया हैइतनी गहरी आँखें जिनमें बच्चों सी मासूमियत कुछ लोग अंजान होके भी खुद से ज्यादा करीब लगने लगते हैं उस वक्त कुछ ऐसा ही मुझे महसूस हो रहा थागार्ड के जाते ही हम फोरन वहा से